डर्ट ईटर मास्क" क्या थे और उनका उपयोग क्यों किया जाता था?

 16 से 19वीं शताब्दी के दौरान अफ्रीका में गरीब गुलामों के मुँह को उनके मालिकों ने मास्क के द्वारा बँधवा दिया था।

इसके पीछे मालिकों का लालच छुपा था।

दरअसल उस जमाने में गुलामों पर बहुत अत्याचार किए जाते थे। उन्हें सुबह से लेकर शाम तक कठोर परिश्रम करवाया जाता था और उसके बदले खाने को भी कुछ नहीँ दिया जाता था। 



ऐसे में कुछ गुलाम खेतों में काम करते वक्त भूख से तड़पने के कारण फसल से कुछ खा लेते थे जैसे थोड़े से गेहूं, बाजरा आदि जिसे रोकने के लिए मालिकों ने उन्हें यह मास्क लगाना शुरू कर दिया।

उसी के साथ उस जमाने में जो गुलाम फसलों से कुछ न खा पाते वो अपना पेट भरने के लिए मिट्टी खाने लगते ताकि उनकी भूख शांत हो जाए लेकिन उस कारण वे बीमार पड़ जाते थे इस चीज़ से बचने के लिए भी मास्क का उपयोग निर्दय मालिकों द्वारा उनके गुलामों पर किया जाता था ताकि वे मिट्टी खा कर बीमार न पड़ें और दिनभर काम करतें रहे।

छवि स्त्रोत : गूगल


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